31-08-2020
तमिलनाडु में रोमन कैथोलिक संस्थाओं के द्वारा 2020 राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विरोध में आंदोलन तेज हो गया है इसाई मिशनरियों के द्वारा खासतौर पर इससे शिक्षा नीति को हिंदुत्ववादी शिक्षा नीति करार दिया जा रहा है जगह जगह पर इस शिक्षा नीति का घोर विरोध चल रहा है। बीते 30 अगस्त को रोमन कैथोलिक संस्थाओं के द्वारा सोशल मीडिया पर केंद्र द्वारा लाए जाने वाले राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का जमकर विरोध करते हुए इस सिलसिले की शुरुआत की गई। सोशल मीडिया चलाने वाले लोगों ने इसे खतरनाक ट्रेड बताया। कैथोलिक संस्थाओं का कहना है कि तमिलनाडु में इस शिक्षा नीति को बहाल नहीं किया जाए। इस विरोध प्रदर्शन की शुरुआत करते हुए मद्रास और मल्लापोर के आर्क बिशप जॉर्ज एनटिनी सैमी ने कैथोलिक शिक्षण संस्थाओं और स्टूडेंटों को इस नीति के विरोध में आंदोलन खड़ा करने की बात कही। इस विरोध प्रदर्शन की शुरुआत तमिलनाडु कैथोलिक एजुकेशन एसोसिएशन के द्वारा की गई। एसोसिएशन का यह आरोप है कि नई शिक्षा नीति के बनाने वाले कमेटी में आर एस एस के पृष्ठभूमि के तीन चार लोग हैं जिन्होंने जानबूझकर हिंदुत्व को थोपने का प्रयास किया है। स्वराज अखबार में छपे जानकारी के संदर्भ में जब यह पूछा गया की नई शिक्षा नीति का विरोध चर्च क्यों कर रहा है जबकि इसका फायदा ईसाइयों को भी होना है तो इस पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी से एसोसिएशन ने खुद को अलग रखते हुए नो कमेंट की बात कही। कुल मिलाकर मैकाले शिक्षा पद्धति में हुई थोड़ी बहुत बदलाव को चर्च स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उसका आरोप है कि जानबूझकर हिंदी पूरे भारतवर्ष में थोपी जा रही है। जबकि नई शिक्षा नीति में कहीं कुछ ऐसा नहीं है जो किसी एक खास धर्म को बढ़ावा देता हो या उसका बचाव करता हो।
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